लेखनी कहानी -03-Jun-2022मायके गयी पत्नी के पति की पीडा।
हे प्रिये तुम जबसे मायके गयी हुई हो
हमारे बहुत बुरे दिन आ रहे है।
हम होटल की तन्दूरी रोटी खा खाकर
बहुत ज्यादा मोटे होते जारहे है।।
इतनी पैसो से भर गयी है मेरी जेबे
वह मुझसे सम्भाले नहीं सम्भलती।
यू सकून भरी रातौ को जागता हूँ मै
सच कहूँ तुम बिन बात नहीं बनती।।
अपनी ही मर्जी के कपडे़ पहन पहन
मै अब मै बहुत ज्यादा थक गया हूँ।
सच कहूँ तो मै तुम्हारी टोका टाकी बिना
ऐसा लगता है कि जिन्दा मर गया हूँ।।
हे प्रिये तुम सच सच बताना मुझे
तुम कबतक मेरे पास आजाओगी।
सब्जी वाले दूधवाले को कब आकर
अपनी लाल लाल आँखै दिखाओगी।।
तुम्हारे बिना यह मोहल्ले की औरते
मुझे आ आकर रोज ताने दे जाती है।
वह झगडा़ किससे करे जाकर
यह सोच सोचकर बहुत पछताती है।।
आज कितने दिन बीत गये है
कि कामबाली भी कामपर नही आरही।
अबतो ये मेरी बडी। बडी आखै
किसी को भी नही ताक पा रही है।।
दैनिक प्रतियोगिता हेतू कविता
नरेश शर्मा "पचौरी "
03/06/2022
Saba Rahman
04-Jun-2022 11:24 PM
Nyc
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Kusam Sharma
04-Jun-2022 09:31 PM
Nice
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Seema Priyadarshini sahay
04-Jun-2022 05:37 PM
बेहतरीन रचना
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